News
- दिल्ली के निजामुद्दीन में हुए मरकज की वजह से देश में कोरोना वायरस केसों से संक्रमित लोगों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है।
- तबलीगी जमाअत(English: Society for spreading faith) विश्व की सतह पर सुन्नी इस्लामी धर्म प्रचार आंदोलन है, जो मुसलमानों को मूल इस्लामी पद्दतियों की तरफ़ बुलाता है। खास तौर पर धार्मिक तरीके, वेशाभूश, वैयक्तिक गति विधियां। माना जाता है कि इस चिन्तन वाले लोगों की संख्या बारह और 150 मिलियन है।
- इस आंदोलन को 1927 में मुहम्मद इलियास अल-कांधलवी ने भारत में शुरू किया था। इस का मूल उद्देश्य आध्यात्मिक इस्लाम को मुसलमानों तक पहुंचाना और फैलाना। इस जमाअत के मुख्य उद्देश्य "छ: उसूल" (कलिमा, सलात, इल्म, इक्राम-ए-मुस्लिम, इख्लास-ए-निय्यत, दावत-ओ-तबलीग) हैं। यह एक धर्म प्रचार आंदोलन माना गया।
- हजरत निज़ामुद्दीन (1325-1236) चिश्ती घराने के चौथे संत थे। इस सूफी संत ने वैराग्य और सहनशीलता की मिसाल पेश की, कहा जाता है कि 1303 में इनके कहने पर मुगल सेना ने हमला रोक दिया था, इस प्रकार ये सभी धर्मों के लोगों में लोकप्रिय बन गए। हजरत साहब ने 92 वर्ष की आयु में प्राण त्यागे और उसी वर्ष उनके मकबरे का निर्माण आरंभ हो गया, किंतु इसका नवीनीकरण 1562 तक होता रहा। दक्षिणी दिल्ली में स्थित हजरत निज़ामुद्दीन औलिया का मकबरा सूफी काल की एक पवित्र दरगाह है।
- सूफी संत फरीद्दुद्दीन गंज-इ-शक्कर के शिष्य बन गये, जिन्हें सामान्यतः बाबा फरीद के नाम से जाना जाता था
- इनके शिष्यों : शेख नसीरुद्दीन मोहम्मद चिराग़-ए-दिल्ली , अमीर खुसरो (दिल्ली सलतनत के शाही कवि)
No comments:
Post a Comment